अभयवाणी की खबर का असर: नींद टूटी जिम्मेदारों की,अब सफाई बनी प्राथमिकता!

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स्वच्छता प्रभारी ने थामा मोर्चा,अब सुधर रही व्यवस्था

सिलवानी नगर में आखिरकार वह देखने को मिला जिसकी उम्मीद लंबे समय से की जा रही थी। नगर परिषद, जो अब तक गंदगी के ढेर के साथ जीने की आदत बना चुकी थी, अचानक एक खबर से चौंक गई। अभयवाणी की सटीक और तीखी खबर ने नगर में फैली गंदगी और परिषद की लापरवाही को जिस तरह से उजागर किया, उसने जिम्मेदारों की नींद तोड़ दी। अब नगर की गलियों में झाड़ू चल रही है, कचरे के ढेर हटाए जा रहे हैं। इस सफाई अभियान की कमान नई स्वच्छता प्रभारी माला चंदेल ने संभाली है। हाल ही में पदभार संभालने वाली माला चंदेल ने कहा कि उन्हें नगर की वर्तमान हालत की पूरी जानकारी है और उनकी कोशिश रहेगी कि सफाई व्यवस्था में अब कोई कोताही न रहे। उन्होंने यह भी स्वीकारा कि नगर की स्वच्छता व्यवस्था में पहले काफी खामियां रही हैं, लेकिन अब उसे सुधारा जा रहा है। उनकी बातों से इतना जरूर समझ आता है कि वे सिर्फ कुर्सी संभालने नहीं, ज़मीनी स्तर पर बदलाव लाने आई हैं। हालांकि, नगर की जनता अब सिर्फ झाड़ू और बयानबाज़ी से संतुष्ट नहीं होने वाली। सालों की उपेक्षा ने भरोसा कमज़ोर कर दिया है। इसलिए चाहे कोई भी प्रभारी हो, अब उसे सिर्फ काम से ही पहचाना जाएगा। माला चंदेल के आने से नगर में जो सफाई का क्रम शुरू हुआ है, वह सराहनीय है, लेकिन यह भी ध्यान देने वाली बात है कि यह सब एक खबर के बाद शुरू हुआ है, यानी दबाव बना तो कार्रवाई हुई। सवाल यही है कि क्या यह अभियान एक-दो हफ्ते की रस्म अदायगी बनकर रह जाएगा या फिर सिलवानी को सच में साफ और सुंदर बनाने का लक्ष्य लेकर आगे बढ़ेगा। नगर परिषद के लिए यह समय अपने काम से विश्वास जीतने का है। जनता के बीच जो नाराजगी बनी है, वह सिर्फ झाड़ू चलाने से नहीं जाएगी। सफाई एक दिन की नहीं, रोज़मर्रा की प्रक्रिया है, और यही प्रक्रिया सालों से नजरअंदाज की जाती रही है। हर गली, हर मोहल्ले में यह तय होना चाहिए कि अब गंदगी नहीं रहेगी और सफाई कर्मचारियों की जवाबदेही भी तय होगी। माला चंदेल ने कहा है कि उनकी प्राथमिकता है कि नगर का हर कोना साफ हो और कोई भी नागरिक गंदगी की शिकायत लेकर न आए। अगर उनका यह संकल्प कार्य रूप में पूरी तरह उतरा, तो निश्चित ही सिलवानी की तस्वीर बदलेगी। फिलहाल इतना तय है कि अभयवाणी की खबर ने असर दिखाया है। अब सफाई हो रही है, झाड़ू चल रही है, लेकिन ये सफर तब तक अधूरा रहेगा जब तक यह सिलसिला लगातार न चले। जनता देख रही है, और अब सिर्फ दिखावे से नहीं, सच्चे बदलाव से ही भरोसा लौटेगा।